Category: Tyohaar

ganesh chaturthi Muhurat

Shri Ganesh Chaturthi 2020 – श्री गणेश चतुर्थी –…

** श्रीगणेश चतुर्थी **
* भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी *

गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारूभक्षणम्।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपकंजम्।।

Shri Ganesh Chaturthi 2020 Muhurat
श्री गणेश चतुर्थी मुहूर्त इस वर्ष 22 अगस्त 2020 को शनिवार के दिन सूर्योदय से सायं 7:57 PM भा० स्टै० टा० तक है एवं शुभ मुहूर्त शुभ चौघड़िया के अनुसार दोपहर 12:22 PM से 04:48 PM तक चार, लाभ एवं अमृत चौघड़िया में है।

भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मध्यह्न के समय विघ्नविनायक भगवान गणेश का जन्म हुआ था। अतः यह तिथि मध्
याह्नव्यापिनी लेनी चाहिये। इस दिन रविवार अथवा मंगलवार हो तो प्रशस्त है। गणेशजी हिन्दुओं के प्रथम पूज्य देवता हैं। सनातन धर्मानुयायी स्मार्तों के पंचदेवताओं में गणेशजी प्रमुख हैं। हिन्दुओं के घर में चाहे जैसी पूजा या क्रियाकर्म हो, सर्वप्रथम श्रीगणेशजी का आवाहन और पूजन किया जाता है। शुभ कार्यों में गणेश की स्तुति का अत्यंत महत्व माना गया है।

गणेशजी विघ्नों को दूर करने वाले देवता हैं। इनका मुख हाथी का, उदर लम्बा तथा शेष शरीर मनुष्य के समान है। मोदक इन्हे विशेष प्रिय है। बंगाल की दुर्गा पूजा की तरह महाराष्टं में गणेश पूजा एक राष्टींय पर्व के रूप में प्रतिष्ठित है। गणेश चतुर्थी के दिन नक्त व्रत का विधान है। अतः भोजन सायंकाल करना चाहिये तथापि पूजा यथा सम्भव मध्याह्न में ही करनी चाहिये, क्योंकि- पूजाव्रतेषु सर्वेषु मध्याह्नव्यापिनी तिथिः। अर्थात् सभी पूजा-व्रतों में मध्याह्नव्यापिनी तिथि लेनी चाहिये।

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को प्रातःकाल स्नानादि नित्य कर्म से निवृत्त होकर अपनी शक्ति के अनुसार सोने, चाँदी, ताँबे, मिट्टी, पीतल अथवा गोबर से गणेश की प्रतिमा बनाये या बनी हुई प्रतिमा का पुराणों में वर्णित गणेशजी के गजानन, लम्बोदर स्वरूप का ध्यान करें और अक्षत पुष्प लेकर निम्न संकल्प करें-

ऊँ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः अद्य दक्षिणायने सूर्ये वर्षर्तौ भाद्रपद मासे शुक्लपक्षे गणेशचतुर्थ्यां तिथौ अमुकगोत्रोऽमुक शर्मा/वर्मा/गुप्तोऽहं (……आपका गोत्र ……..) विद्याऽऽरोग्यपुत्रधनप्राप्तिपूर्वकं सपरिवारस्य मम सर्वसंकटनिवारणार्थं श्रीगणपतिप्रसादसिद्धये चतुर्थीव्रतागंत्वेन श्रीगणपतिदेवस्य यथालब्धोपचारैः पूजनं करष्यि।

हाथ में लिये हुये अक्षत-पुष्प इत्यादि गणेशजी के पास छोड़ दें। इसके बाद विघ्नेश्वर का यथाविधि ‘ऊँ गं गणपतये नमः’ से पूजन कर दक्षिणा के पश्चात् आरती कर गणेशजी को नमस्कार करें एवं गणेशजी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाये । मोदक और दूर्वा की इस पूजा में विशेषता है। अतः पूजा के अवसर पर इक्कीस दूर्वादल भी रखे तथा उनमें से दो-दो दूर्वा निम्नलिखित दस नाम मंत्रों से क्रमशः चढ़ाये –

ऊँ गणाधियाय नमः
ऊँ उमापुत्राय नमः
ऊँ विघ्ननाशनाय नमः
ऊँ विनायकाय नमः
ऊँ ईश्पुत्राय नमः
ऊँ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः
ऊँ एकदन्ताय नमः
ऊँ इभवक्त्राय नमः
ऊँ मूषकवाहनाय नमः
ऊँ कुमारगुरवे नमः

पश्चात् दसों नामों का एक साथ उच्चारण कर अवशिष्ट एक दूब चढ़ाये। इसी प्रकार इक्कीस लड्डू भी गणेश
पूजा में आवश्यक होते है । इक्कीस लड्डू का भोग रखकर पाँच लड्डू मूर्ति के पास चढ़ाये और पाँच ब्राह्मण को दे दें एवं शेष को प्रसाद स्वरूप में स्वयं ले लें तथा परिवार के लोगों में बाँट दे। पूजन की यह विधि चतुर्थी के मध्याह्न में करे । ब्राह्मण भोजन कराकर दक्षिणा दे और स्वयं भोजन करे । पूजन के पश्चात् नीचे लिखे मंत्र से वह सब सामग्री ब्राह्मण को निवेदन करे –

दानेनाने देवेश प्रीतो भव गणेश्वर।
सर्वत्र सर्वदा देव निर्विघ्नं कुरू सर्वदा।
मानोन्नतिं च राज्यं च पुत्रपौत्रान् प्रदेहि मे।।

इस व्रत से मनोवांछित कार्य सिद्ध होते हैं, क्योंकि विघ्नहर गणेशजी के प्रसन्न होने पर क्या दुर्लभ है? गणेशजी
का यह पूजन बुद्धि, विद्या तथा ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति एवं विघ्नों के नाश के लिये किया जाता है। कई व्यक्ति श्रीगणेश सहस्त्र नामावली के एक हजार नामों से प्रत्येक नाम के उच्चारण के साथ लड्डू अथवा दूर्वादल आदि श्रीगणेशजी को अर्पित करते हैं। इसे गणपति सहस्त्रार्चन कहा जाता है।